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कृष्ण जन्माष्टमी: संदेश और महत्त्व Celebrating Krishna Janmashtami: Messages that Inspire

श्री  कृष्ण जन्माष्टमी, Happy Krishna Janmashtami : कृष्ण जन्माष्टमी, जिसे हम सभी भगवान श्री कृष्ण के जन्मोत्सव के रूप में मनाते हैं, भारतीय संस्कृति का एक महत्वपूर्ण त्योहार है। यह त्योहार प्रति वर्ष श्रावण माह की रोशनी में आठवें दिन मनाया जाता है, कृष्ण जन्माष्टमी, जिसे गोकुलाष्टमी के नाम से भी जाना जाता है, 26 अगस्त 2024 को मनाई जाएगी। भक्ति, प्रेम और आध्यात्मिकता का यह पर्व न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह हमारे सामाजिक और सांस्कृतिक मूल्य भी प्रदर्शित करता है। इस लेख में हम कृष्ण जन्माष्टमी के संदेशों और उनके महत्त्व पर चर्चा करेंगे। भगवान कृष्ण का महत्व भगवान श्री कृष्ण का जन्म 5000 वर्ष पूर्व मथुरा में हुआ था। वे भगवान विष्णु के आठवें अवतार माने जाते हैं। उनका जीवन हमें अनेक शिक्षाएँ देता है। कृष्ण ने 'धर्म', 'कर्म', और 'भक्ति' के महत्व को अपने जीवन के माध्यम से दर्शाया। गीता, जो कि उनका उपदेश है, न केवल जीवन के उद्देश्य को स्पष्ट करती है, बल्कि हमें अपने कर्तव्यों को निभाने और नैतिकता का पालन करने की भी प्रेरणा देती है।  कृष्ण जन्माष्...

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सुनीता विलियम्स ( जन्म: 19 सितंबर, 1965 यूक्लिड, ओहियो में ) अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा के माध्यम से अंतरिक्ष में जाने वाली भारतीय मूल की दूसरी महिला है। 127 दिनों तक अंतरिक्ष यात्री के रूप में एक महिला प्रवास के दौरान विश्व कीर्तिमान की स्थापना की गई। उनके पिता दीपक पांडया अमेरिका में एक डॉक्टर हैं।

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प्रारंभिक जीवन

सुनीता लिन पांड्या विलियम्स का जन्म 19 सितम्बर 1965 को अमेरिका के ओहियो राज्य में यूक्लिड नगर (स्थित क्लीवलैंड) में हुआ था। मैसाचुसेट्स से हाई स्कूल पास करने के बाद 1987 में उन्होंने संयुक्त राष्ट्र की नौसैनिक अकादमी से फिजिकल साइन्स में बीएस (स्नातक उपाधि) की परीक्षा उत्तीर्ण की। तत्पश्चात 1995 में उन्होंने फ़्लोरिडा इंस्टिट्यूट ऑफ़ टैक्नोलॉजी से इंजीनियरिंग मैनेजमेंट में एम.एस. की उपाधि हासिल की। उनके पिता डॉ॰ दीपक एन. पांड्या एक जाने-माने तंत्रिका विज्ञानी (एम.डी) हैं, जिनका संबंध भारत के गुजरात राज्य से हैं। उनकी माँ बॉनी जालोकर पांड्या स्लोवेनिया की हैं। उनका एक बड़ा भाई जय थॉमस पांड्या और एक बड़ी बहन डायना एन, पांड्या है। जब वे एक वर्ष से भी कम की थी तभी पिता 1958 में अहमदाबाद से अमेरिका के बोस्टन में आकर बस गए थे। हालाँकि बच्चे अपने दादा-दादी, ढेर सारे चाचा-चाची और चचेरे भाई-बहनों को छो़ड़ कर ज्यादा खुश नहीं थे, लेकिन परिवार ने पिता दीपक को उनके चिकित्सा पेशे में प्रोत्साहित किया।

करियर

जून 1998 में उनका अमेरिका की अंतरिक्ष एजेंसी नासा में चयन हुआ और प्रशिक्षण शुरू हुआ। सुनीता भारतीय मूल की दूसरी महिला हैं जो अमरीका के अंतरिक्ष मिशन पर गईं। सुनीता विलियम्स ने सितंबर / अक्टूबर 2007 में भारत का दौरा भी किया। जून, 1998 से नासा से जुड़ी सुनीता ने अभी तक कुल 30 अलग-अलग अंतरिक्ष यानों में 2770 उड़ानें भरी हैं। साथ ही सुनीता सोसाइटी ऑफ एक्सपेरिमेंटल टेस्ट पायलेट्स, सोसाइटी ऑफ फ्लाइट टेस्ट इंजीनियर्स और अमेरिकी हैलिकॉप्टर एसोसिएशन जैसी संस्थाओं से भी जुड़ी हुई हैं।

व्यक्तिगत जीवन

उनका विवाह माइकल जे. विलियम्स से हुआ।वे सुनीता पंड्या के सहपाठी रह चुके है।

वे नौसेना पोत चालक, हेलीकाप्टर पायलट, परीक्षण पायलट, पेशेवर नौसैनिक, गोताखोर, तैराक, धर्मार्थ धन जुटाने वाली, पशु-प्रेमी, मैराथन धावक और अब अंतरिक्ष यात्री एवं विश्व-कीर्तिमान धारक हैं। उन्होने एक साधारण व्यक्तित्व से ऊपर उठकर अपनी असाधारण संभाव्यता को पहचाना और कड़ी मेहनत तथा आत्मविश्वास के बल पर उसका भरपूर उपयोग किया।

सम्मान और पुरस्कार

उन्हें सन २००८ में भारत सरकार द्वारा विज्ञान एवं अभियांत्रिकी के क्षेत्र में पद्म भूषण से सम्मानित किया था। इसके अलावा उन्हें नेवी कमेंडेशन मेडल (2), नेवी एंड मैरीन कॉर्प एचीवमेंट मेडल, ह्यूमैनिटेरियन सर्विस मेडल जैसे कई सम्मानों से सम्मानित किया जा चुका है।


सुनीता विलियम्स ने अंतरिक्ष में अपने समय के दौरान कई रिकॉर्ड बनाए हैं, जिनमें शामिल हैं: What records did Sunita Williams break in space? 

एक महिला द्वारा सबसे ज़्यादा स्पेसवॉक: सुनीता विलियम्स ने अपने मिशन के दौरान कुल 7 स्पेसवॉक किए, जो उस समय एक महिला अंतरिक्ष यात्री द्वारा सबसे ज़्यादा स्पेसवॉक करने का रिकॉर्ड था।

कुल स्पेसवॉक अवधि: उन्होंने कुल 50 घंटे और 40 मिनट स्पेसवॉक का समय जमा किया, जो अपनी लंबाई के लिए उल्लेखनीय था।

एक महिला द्वारा अंतरिक्ष में सबसे लंबा समय: अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) पर अपने समय के दौरान, उन्होंने अपने मिशनों में अंतरिक्ष में कुल 322 दिन पूरे किए, जिससे वह अंतरिक्ष में सबसे लंबे समय तक संचयी समय वाले अंतरिक्ष यात्रियों में से एक बन गईं, हालाँकि यह रिकॉर्ड तब से दूसरों द्वारा पार कर लिया गया है।

सुनीता विलियम्स को न केवल इन रिकॉर्डों के लिए बल्कि ISS पर अपने मिशनों के दौरान वैज्ञानिक अनुसंधान में उनके योगदान के लिए भी जाना जाता है।

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