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South Africa Dominates England in First ODI: Markram's Blitz and Maharaj's Spin Lead to Historic Win

  🏏 Match Overview: South Africa 's Commanding Victory In a remarkable display of skill and strategy, South Africa defeated England by 7 wickets in the first ODI at Headingley, Leeds , on September 2, 2025. Chasing a modest target of 132, South Africa reached 137/3 in just 20.5 overs, with 175 balls to spare. This victory marks a significant achievement, as it was South Africa's first-ever ODI win at this venue. 🔥 Aiden Markram's Record-Breaking Innings South Africa's vice-captain, Aiden Markram , delivered a blistering performance, scoring 86 runs off just 55 balls. His innings included a record-setting 23-ball half-century, the fastest by a South African opener in ODIs. Markram's aggressive approach set the tone for the chase, ensuring a swift and decisive victory. 🧙‍♂️ Keshav Maharaj's Spin Magic Spinner Keshav Maharaj was instrumental in dismantling England's batting lineup, taking 4 wickets for 22 runs. His tight lines and variations...

कुंडलिन चक्र क्या है ? कैसे जाग्रित करे कुंडलिन चक्र ? Kundalini jagaran, What is Kundalini Chakra?

 कुंडलिनी चक्र, हिंदू धर्म में एक दिव्य शक्ति है जो शरीर के मूलाधार चक्र में स्थित मानी जाती है। इसे “कुण्डलिनी” या “जगृत सर्पिणी” भी कहा जाता है। यह शक्ति एक लटकी हुई सर्प की तरह विचार की जाती है, जो शरीर के मूलाधार चक्र में बसी होती है। इस चक्र को जाग्रत करने से व्यक्ति को अपार ऊर्जा और अनुभव होते हैं।


कुंडलिनी शक्ति क्या है ? What is Kundalini awakening in hindi


What is Kundalini Chakra?


कुंडलिनी शक्ति कैसे जागृत करें

मेरुदण्ड के अंतिम छोर पर जहां बहुत सारी शिराओं का जाल है वहीं निचले भाग में इड़ा, पिंगला, सुषुम्ना नाड़ियाँ होती हैं जो सामान्यतः सुसुप्त अवस्था में रहती हैं। सहस्त्रआर से अर्थ शिव परमात्मा से माना जाता है । एक विशेष प्रकार की दिव्य ज्योति आलोकित होती है। कुंडलिनी शक्ति का अर्थ एक ऐसी दिव्य शक्ति के रूप में लिया जाता है तो कुंडल के रूप में शरीर में स्थित है जो मेरुदंड के अंतिम छोर में स्थित नाड़ी जो साढ़े तीन लपेटे लगाकर नागिन की तरह कुंडली मारकर बैठी रहती है यही कुंडलिनी कहलाती है।


कुंडलिनी शक्ति को जागृत करने के सही उपाय है कुछ मनुष्य के भीतर यह शक्ति आध्यात्मिक साधना करने के उपरांत जागृत हो जाती है तथा कुछ योग आदि क्रियाओं के पूर्ण होने पर जागृत हो जाती सभी में शक्ति अलग-अलग वजह से जागृत हो सकती हैं इसके जागरण के अलग – अलग नियम है। कुंडलिनी का जागरण आत्मा के विकास में एक प्रमुख घटना है। कुंडलिनी जागृत करने की विभिन्न विधियाँ हैं। अधिकांश तौर पर आध्यात्मिक अभ्यास या योग अभ्यास कुंडलिनी शक्ति के जागरण ( Kundalini power Activation ) में काफी सफल होते हैं।


कुंडलिनी जागरण से प्राप्त अलौकिक शक्तियां । Kundalini jagaran se shaktiyan.


कुंडलिनी शक्ति जागरण के दौरान 7 चक्रो जागृत होने पर साधक को असीम शक्तियों की प्राप्ति होती हैं । साधक को नव सिद्धि प्राप्त हो जाती हैं । साधक अपनी दिव्य दृष्टि से इस समस्त सृष्टि को देख सकता हैं । इस शक्ति के जागरण से साधक भूतकाल, भविष्य काल को आसानी से देख सकता है । अपने शरीर को छोड़कर बाहर आ जा सकता है । ईश्वर के विषय से रु ब रु हो सकता है । साधक इस शक्ति के माध्यम से मानव कल्याण की आसानी से कर सकता है ।


कुंडलिनी शक्ति कैसे जागृत करें । How to Kundalini awakening in hindi.


मानव शरीर के अंदर सात चक्र होते हैं इन सातों चक्रों की उर्जा को कुंडली चक्र भी कहा जाता है । यह चक्र मूलाधार चक्र, स्वादिष्ठान चक्र, मणिपुर चक्र, अनाहत चक्र, विशुद्धि चक्र, आज्ञाचक्र एवं सहस्त्रार चक्र के नाम से जाने जाते है । कुंडलिनी शक्ति मूलाधार चक्र के निचे सर्प की भांति कुंडली मारे सुप्त अवस्था मे विराजमान होती है । इन चक्रो में ऊर्जा का भंडार होता है । इनमें से तीन चक्र जागृत हो जाए तो वह मानव शरीर सबसे स्वस्थ के रूप में देखा जाता है यही सातों चक्र को जागृत करने के बाद इसे कुंडलिनी शक्ति कहा जाता है।


हठयोग के अनुसार हमारे शरीर में सात चक्र 72000 नाडियां और 10 प्रकार की वायु या प्राण होते हैं हमारे शरीर में मेरुदंड से गुजरने वाली सुषुम्ना नाड़ी में सात चक्र या ताले होते हैं । यह शक्ति जागृत कर मनुष्य अन्य मनुष्यों से अलग कर देती है तथा ईश्वर से एक करीबी रिश्ता बनने लग जाता है । ऐसे मनुष्य जन्म – मृत्यु, सुख – दुख की दृष्टि से ऊपर उठकर सोचने लग जाते हैं।


योग ( Meditation ) द्वारा कुंडलिनी शक्ति को कैसे जागृत करे ।


योग आदि की लगातार गहन साधना करने से कुंडलिनी शक्ति जागृत हो सकती है। इसके लिए योग्य गुरु के सानिध्य में योग क्रिया को करना होता है जैसे प्राणायाम, सूर्य नमस्कार, ध्यान मुद्रा, पद्मासन आदि द्वारा कुंडलिनी शक्ति ( Kundalini shakti ) को जागृत कर सकते हैं।


इसके अलावा विभिन्न प्रकार की मुद्राओ द्वारा भी कुंडलिनी शक्ति को जागृत कर सकते हैं। मुद्राओं का प्रभाव शरीर की भीतरी ग्रन्थियों पर पड़ता है। इन मुद्राओं द्वारा शरीर के अवयवों तथा उनकी क्रियाओं को प्रभावित एवं नियन्त्रित किया जा सकता है। इन चमत्कारिक मुद्राओं की अलग-अलग क्रिया विधि है जो सही तरीके से करनी चाहिए । उनमें से कुछ महत्वपूर्ण मुद्राओं की क्रिया विधि और उनके फायदे इस प्रकार से है।


कैसे करें कुंडलिनी aweking योग । Yoga for Kundalini awakening in hindi.


यदि साधक की आस्था मजबूत है और परमात्मा के प्रति जिज्ञासा तथा आसन प्राणायाम योग आदि को लंबे समय तक एकाग्र चित्त होकर नियमित रूप से करें तो Kundalini Aweking कुंडलिनी जागृत हो जाती है । अपनी सच्ची साधना और विश्वास भाव से गुरु के सानिध्य में भी कुंडलिनी जागृत हो जाती है। लययोग के अनुसार संगीत के द्वारा भी kundalini aweking कुंडलिनी जागृत किया जा सकता है।


स्वामी शिवानंद के अनुसार चार प्रकार के योग होते हैं

1. हठ योग ( पढ़े – हठ योग की परिभाषा । Benefits of hatha yoga in hindi. )

2. राजयोग

3. मंत्र योग

4. लय योग इसके साथ साथ भक्ति व ज्ञान योग भी प्रमुख है।


कुंडलिनी ऊर्जा प्राप्त करने के लिए यहां कुछ मार्गदर्शन हैं:


1. योग और ध्यान: योग और ध्यान के माध्यम से आप अपनी ऊर्जा को ऊपर की ओर ले जा सकते हैं। योगासन, प्राणायाम, और ध्यान के अभ्यास से कुंडलिनी जागरण हो सकता है।


2. आध्यात्मिक संयम: आत्मा की ऊर्जा को एकत्र करने के लिए आध्यात्मिक संयम का पालन करें। यह आपके अंदर की ऊर्जा को जाग्रत कर सकता है।


3. गुरु की मार्गदर्शन: एक अनुभवी गुरु से मार्गदर्शन प्राप्त करें। वे आपको सही दिशा में मार्ग पर ले सकते हैं।


कुंडलिनी ऊर्जा को जाग्रत करने के लिए नियमित अभ्यास और आध्यात्मिक अनुभव की आवश्यकता होती है। 


इसका महत्व क्या है?


कुंडलिनी चक्र का महत्व आध्यात्मिक विकास में होता है। जब कुंडलिनी ऊर्जा जाग्रत होती है, तो व्यक्ति को अपार ऊर्जा, ज्ञान, और आत्मा के साथ एकता की अनुभव होती है। यह ऊर्जा शरीर, मन, और आत्मा के बीच संतुलन को स्थापित करने में मदद करती है और आत्मा की ऊँचाइयों की ओर ले जाती है। 

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