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South Africa Dominates England in First ODI: Markram's Blitz and Maharaj's Spin Lead to Historic Win

  🏏 Match Overview: South Africa 's Commanding Victory In a remarkable display of skill and strategy, South Africa defeated England by 7 wickets in the first ODI at Headingley, Leeds , on September 2, 2025. Chasing a modest target of 132, South Africa reached 137/3 in just 20.5 overs, with 175 balls to spare. This victory marks a significant achievement, as it was South Africa's first-ever ODI win at this venue. 🔥 Aiden Markram's Record-Breaking Innings South Africa's vice-captain, Aiden Markram , delivered a blistering performance, scoring 86 runs off just 55 balls. His innings included a record-setting 23-ball half-century, the fastest by a South African opener in ODIs. Markram's aggressive approach set the tone for the chase, ensuring a swift and decisive victory. 🧙‍♂️ Keshav Maharaj's Spin Magic Spinner Keshav Maharaj was instrumental in dismantling England's batting lineup, taking 4 wickets for 22 runs. His tight lines and variations...

भारत के 12 ज्योतिर्लिंग - ज्योतिर्लिंगों के पीछे की कहानी Bhagwan Shiv Ke 12 Jyotirling Ki Katha

 भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंग - ज्योतिर्लिंगों के पीछे की कथा

भगवान ब्रह्मा और विष्णु जी के बीच एक बार इस बात पर बेशस होती है की सबसे सर्वोत्तम कोन है। इस तर्क को सुलझाने के लिए भगवान शिव प्रकाश के एक विशाल स्तंभ के रूप में प्रकट हुए और उन्हे कहा की अब आप स्तंभ का अंत खोजकर बताए। भगवान ब्रह्मा और विष्णु दोनो को अंत नहीं मिला। प्रकाश के स्तंभ की उपरोक्त कथा ज्योतिर्लिंग मंदिरो में व्यक्त होती है जहां भगवान शिव प्रकाश के लिंग के रूप में प्रकट होते है। 


ज्योतिर्लिंग का अर्थ

ज्योतिर्लिंग शब्द का अर्थ है चमक (ज्योति) + लिंग


इन 12 ज्योतिर्लिंगों को भगवान शिव की विभिन्न स्वरूप माना जाता है।

1. सोमनाथ सौराष्ट्र क्षेत्र, गुजरात

2. मल्लिकार्जुन श्रीशैल, आंध्र प्रदेश

3. महाकालेश्वर उज्जैन, मध्य प्रदेश

4. ओंकारेश्वर खंडवा, मध्य प्रदेश

5. केदारनाथ रुद्रप्रयाग, उत्तराखंड

6. भीमाशंकर पुणे, महाराष्ट्र

7. काशी विश्वनाथ वाराणसी, उत्तर प्रदेश

8. त्र्यम्बकेश्वर नासिक, महाराष्ट्र

9. वैद्यनाथ देवघर,     झारखंड

10. नागेश्वर द्वारका,   गुजरात

11. रामेश्वरम रामेश्वरम, तमिलनाडु

12. घृष्णेश्वर औरंगाबाद, महाराष्ट्र


सात ज्योतिर्लिंग सात पड़ोसी राज्य

सोमनाथ - गुजरात

नागेश्वर - गुजरात

महाकालेश्वर - मध्य प्रदेश

ओंकारेश्वर - मध्य प्रदेश

घृष्णेव्श्रर - महाराष्ट्र

भीमाशंकर - महाराष्ट्र

त्र्यंबकेश्वर - महाराष्ट्र 


1 सोमनाथ - गुजरात

सोमनाथ ज्योतिर्लिंग गुजरात के सौराष्ट्र क्षेत्र में प्रभास पाटन में स्थित है। सोमनाथ का अर्थ है चंद्रमा का स्वामी।

Somnath

जब प्रजापति दक्ष ने चंद्रमा देवता को अपनी चमक खोने का श्राप दिया था। श्राप से मुक्त होने के लिए उन्होंने भगवान शिव की कठोर तपस्या की और भगवान शिव उनके सामने प्रकट हुए। भगवान शिव ने श्राप को कम कर दिया और हर महीने एक पखवाड़े तक घटने की अनुमति दी। चंद्र देव ने भगवान शिव के  सम्मान में ज्योतिर्लिंग की स्थापना की। इस ज्योतिर्लिंग का नाम सोमनाथ रखा गया।


2 मल्लिकार्जुन - आंध्र प्रदेश 

मल्लिकार्जुन आंध्र प्रदेश के श्रीशैलम में स्थित है।

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एक बार भगवान कार्तिकेय अपना माता -पिता शिव -पार्वती से नाराज थे और उन्होंने कैलाश छोड़ दिया । वहा से जाकर वो श्रीशैलम पर्वत पर रहने लगे। उनके माता पिता भी उनका अनुसरण करते थे । जब भगवान कार्तिकेय को इस बात का पता चला तो उन्होंने अपने माता पिता की पूजा की और श्रीशैलम में एक ज्योतिर्लिंग की स्थापना की। भगवान शिव के इस रूप को अर्जुन के नाम से जाना गया और माता पार्वती को मल्लिका के रूप से जाना गया।


3 महाकालेश्वर -मध्य प्रदेश

महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग मध्य प्रदेश के उज्जैन शहर में स्थित है।

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उज्जैन के राजा चंद्रसेन भगवान शिव के बहुत बड़े भक्त थे। उसे काल में उज्जैन पर कुछ राज्यों ने हमला किया था। विनाश से बचने के लिए राजा चंद्रसेन ने भगवान शिव से बार बार प्रार्थना की । तब भगवान शिव अपने महाकाल के रूप में प्रकट हुए और सभी दुष्टो का विनाश कर दिया। भगवान शिव फिर वहा महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग के रूप में प्रकट हुए।


4 ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग -मध्य प्रदेश

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ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग मध्य प्रदेश में नर्मदा नदी पर मधांता द्वीप पर स्थित है। राजा मांधाता शिव की कृपा प्राप्त करने के लिए यहां तपस्या की थी । तब भगवान शिव यहां ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग के रूप में प्रकट हुए।


5 केदारनाथ – उत्तराखंड

kedarnath

केदारनाथ ज्योतिर्लिंग उत्तराखंड में हिमालय की ऊंचाई पर स्थित है। महाभारत युद्ध के बाद पांडवो ने भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए तपस्या की । भगवान शिव ने बैल का रूप धारण किया अंततः उन्होंने उसे स्थान पर अपनी एक झलक दी, बाद में पांडवो ने वहा ज्योतिर्लिंग स्थापित किया । इस ज्योतिर्लिंग को केदारनाथ इसलिए कहा गया क्योंकि उन्होंने खुद को खेत में छुपाया था।


6 भीमाशंकर - महाराष्ट्र

Bhimashankar

भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग महाराष्ट्र में पुणे के पास भोरगिरि गांव में स्थित है। रावण के भाई कुंभकरण को सह्याद्रि पर्वत पर कर्कटी नामक राक्षसी से मुलाकात हुई। दोनों ने शादी एक-दूसरे से शादी कर ली। शादी के बाद कुंभकरण लंका वापस आ गया। लेकिन कर्कटी पर्वत पर ही रह गई और उसने एक पुत्र को जन्म दिया। कुंभकरण के इस पुत्र का नाम भीम था। राम ने कुंभकरण का वध कर दिया। हालांकि कर्कटी ने अपने पुत्र को देवताओं से दूर रखने का फैसला लिया। बड़ा होकर भीम ने अपने पिता कुंभकरण की मृत्यु का बदला लेने का सोचा।

भीम ने भगवान ब्रह्मा की तपस्या करके उनसे ताकतवर होने का वरदान प्राप्त किया। एक राजा कामरुपेश्वर थे, जो भगवान शिव के भक्त थे। एक दिन भीम ने राजा को भगवान शिव की पूजा करते देख लिया। उसने राजा को बंदी बनाकर जेल में डाल दिया। पंरतु राजा कारागार में भी शिवलिंग बनाकर भगवान शिव की पूजा करने लगे। जब भीम को इस बात का पता चला, तो उसने तलवार की मदद से राजा के बनाए शिवलिंग को तोड़ने का प्रयास किया, जिसके परिणाम स्वरूप भगवान शिव स्वयं प्रकट हो गए।

भीम और शिव जी के बीच भंयकर युद्ध हुआ। अंत में शिव जी ने भीम का वध कर दिया। फिर देवताओं ने भगवान शिव से आग्रह किया कि वे उसी स्थान पर रहें। देवताओं के कहने पर भगवान शिव उसी स्थान पर शिवलिंग के रूप में स्थापित हो गए। भीम से युद्ध करने की वजह से इस ज्योतिर्लिंग का नाम भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग पड़ा।


7 विश्वनाथ- उत्तर प्रदेश

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विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग उत्तर प्रदेश के काशी में स्थित है। इस ज्योतिर्लिंग से जुड़ी अनेक कथाएं है। उन्ही में से एक कथा है: भगवान शिव ने अन्य सभी देवताओं पर  अपना  वर्सव दिखाया । काशी में प्रकाश के एक स्तंभ के रूप में प्रकट होकर,पृथ्वी की परत को तोड़कर और आकाश की और अनंत रूप से ऊपर उठकर।

तब सभी देवताओं द्वारा उन्हें ब्रह्माण्ड के भगवान के रूप में समानित किया गया था । उस स्थान पर ज्योतिर्लिंग स्थापित किया गया जहा भगवान शिव ने अपनी महिमा प्रकट की थी।


8 त्र्यंबकेश्वर – महाराष्ट्र

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त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग महाराष्ट्र में नासिक के पास स्थित है। ऐसा कहा जाता है कि गौतम ऋषि अपनी पत्नी अहल्या के साथ ब्रह्मगिरि पहाड़ियों पर रहते थे। जबकि पृथ्वी पर हर जगह अकाल था, ऋषि के आश्रम के अंदर प्रचुर मात्रा में अनाज था। ऐसा इसलिए था क्योंकि देवताओं ने उनकी दृढ़ भक्ति और नियमित प्रार्थना के कारण उन्हें आशीर्वाद दिया था। अन्य ऋषियों को उससे ईर्ष्या हुई और उन्होंने उसके खेतों में एक गाय भेज दी।

जब गौतम ने गाय को अपने खेतों से डराने की कोशिश की, तो वह मर गई। गाय की हत्या के पाप के लिए, गौतम ने गंगा नदी को मुक्त करने के लिए भगवान शिव की पूजा की और उसे शुद्ध करने के लिए अपने आश्रम में प्रवाहित किया। उनकी भक्ति से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने गंगा को मुक्त कर दिया और उन्हें वहीं रहने के लिए कहा। कुशावर्त या पवित्र तालाब जो अब मौजूद है, गोदावरी का स्रोत है। (लोग गोदावरी को गंगा के रूप में पूजते हैं।) ऋषि ने भगवान शिव से भी इस स्थान को अपना निवास स्थान बनाने का अनुरोध किया, जिसे भगवान ने ज्योतिर्लिंग के रूप में बनाया।


9 वैधनाथ – झारखंड

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वैधनाथ ज्योतिर्लिंग झारखंड के देवघर जिले में स्थित है। रावण की तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उन्हे लंका में स्थापित करने के लिए एक लिंग दीया और कहा की लंका ले जाते समय वह किसी भी कारण से इसे जमीन पर न रखे। कैलाश से लंका जाते समय कुछ देर के लिए एक छोटे लड़के को पकड़ा दिया।बचा वह वजन सहन नहीं कर पाया और उसने लिंग को जमीन पर रख दिया। वह लिंग वही पर स्थापित हो गया और वैधनाथ ज्योतिर्लिंग बन गया।


10 नागेश्वर- गुजरात

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नागेश्वर ज्योतिर्लिंग गुजरात के द्वारका में स्थित है । द्वारका नामक राक्षस ने शिव के भक्त सुप्रिय को कैद कर लिया था। जेल में सुप्रिय ने भगवान शिव की आराधना की ।वहा भगवान शिव प्रकट हुए और द्वारका में समुंद्र के किनारे खुद को नागेश्वर ज्योतिर्लिंग के रूप में स्थापित किया।


11 रामेश्वरम- तमिल नाडु

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रामेश्वरम ज्योतिर्लिंग तमिल नाडु में स्थित है। इस लिंग की स्थापना भगवान राम ने रावण के विरुद्ध युद्ध में भगवान शिव का आशीर्वाद लेने के लिए की थी।


12 घृष्णेव्श्रर – महाराष्ट्र

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घृष्णेव्श्रर ज्योतिर्लिंग महाराष्ट्र के औरंगाबाद जिले में स्थित है। सुधर्मा नामक ब्राह्मण अपनी पत्नी सुदेहा के साथ रहा करता था।  वे निःसंतान थे। इसपर ब्राह्मण की पत्नी ने एक हल यह निकाला कि वह अपनी छोटी बहन घुष्मा से अपने पति का विवाह करा दे ।घुष्मा भगवान शिव की परमभक्त थी जो हर रोज सौ पार्थिव शिवलिंग निर्मित कर बड़े मन से शिव जी की पूजा अर्चना करती थी।


भगवान शिव  की असीम कृपा होने के कारण घुष्मा ने पुत्र को जन्म दिया। अब सुदेहा को बहन का पुत्र एक आंख न सुहाता। उसने अपनी ईर्ष्या के कारण एक रात पुत्र की हत्या कर उसे तालाब में फेंक दिया।  


पुत्र की हत्या की बात जब सबको पता चल गई तो पूरा घर मातम में बदल गया। घुष्मा को अपने प्रभु भगवान शिव पर पूर्ण विश्वास था इसलिए वह बिना विलाप किए रोज की ही तरह सौ पार्थिव शिवलिंग बनाकर पूजा अर्चना कर रही थी। पूजा करने के दौरान उसने देखा कि उसका पुत्र तालाब में से वापिस आ रहा है। भगवान शिव की कृपा से उसका मृत पुत्र जीवित हो गया था। पुत्र के आने के कुछ क्षण बाद भगवान शिव वहां प्रकट होकर घुष्मा को दर्शन देते हैं। इसी स्थान को आज  घृष्णेव्श्रर ज्योतिर्लिंग के नाम से जाना जाता है।

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