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South Africa Dominates England in First ODI: Markram's Blitz and Maharaj's Spin Lead to Historic Win

  🏏 Match Overview: South Africa 's Commanding Victory In a remarkable display of skill and strategy, South Africa defeated England by 7 wickets in the first ODI at Headingley, Leeds , on September 2, 2025. Chasing a modest target of 132, South Africa reached 137/3 in just 20.5 overs, with 175 balls to spare. This victory marks a significant achievement, as it was South Africa's first-ever ODI win at this venue. 🔥 Aiden Markram's Record-Breaking Innings South Africa's vice-captain, Aiden Markram , delivered a blistering performance, scoring 86 runs off just 55 balls. His innings included a record-setting 23-ball half-century, the fastest by a South African opener in ODIs. Markram's aggressive approach set the tone for the chase, ensuring a swift and decisive victory. 🧙‍♂️ Keshav Maharaj's Spin Magic Spinner Keshav Maharaj was instrumental in dismantling England's batting lineup, taking 4 wickets for 22 runs. His tight lines and variations...

Explained: The Kashmir Hindu Tragedy In Hindi - Kashmiri Pandits

कश्मीर में पंडितों-सिखों का कत्लेआम: 19 जनवरी 1990 की वह काली रात कब ढलेगी?

19 जनवरी 1990 के दिन कश्‍मीर के इतिहास का सबसे काला अध्‍याय लिखा गया। अपने ही घर से कश्‍मीरी पंडितों को बेदखल कर दिया। सड़कों पर नारे लग रहे थे.


Kashmiri Pandits, Kashmir Hindu

The Kashmir Hindu Tragedy 1990

19 जनवरी 1990 की सर्द सुबह थी। कश्‍मीर की मस्जिदों से उस रोज अज़ान के साथ-साथ कुछ और नारे भी गूंजे। 'यहां क्‍या चलेगा, निजाम-ए-मुस्तफा', 'कश्‍मीर में अगर रहना है, अल्‍लाहू अकबर कहना है' और 'असि गछि पाकिस्तान, बटव रोअस त बटनेव सान' मतलब हमें पाकिस्‍तान चाहिए और हिंदू औरतें भी मगर अपने मर्दों के बिना। यह संदेश था कश्‍मीर में रहने वाले हिंदू पंडितों के लिए। ऐसी धमकियां उन्‍हें पिछले कुछ महीनों से मिल रही थीं.


हिंदुओं की हत्‍या का सिलसिला 1989 से ही शुरू हो चुका था। सबसे पहले पंडित टीका लाल टपलू की हत्‍या की गई। श्रीनगर में सरेआम टपलू को गोलियों से भून दिया गया। वह कश्‍मीरी पंडितों के बड़े नेता थे। आरोप जम्मू-कश्मीर लिब्रेशन फ्रंट के आतंकियों पर लगा मगर कभी किसी के खिलाफ मुकदमा नहीं हुआ। चार महीने बाद, 4 जनवरी 1990 को श्रीनगर से छपने वाले एक उर्दू अखबार में हिजबुल मुजाहिदीन का एक बयान छपा। हिंदुओं को घाटी छोड़ने के लिए कह दिया गया था। इस वक्‍त तक घाटी का माहौल बेहद खराब हो चुका था। हिंदुओं के खिलाफ भड़काऊ भाषणों की भरमार थी। उन्‍हें धमकियां दी जा रही थीं जो किसी खौफनाक सपने की तरह सच साबित हुईं.


Exodus of Kashmiri Hindus , Kashmiri Pandits

सैकड़ों हिंदू घरों में उस दिन बेचैनी थी। सड़कों पर इस्‍लाम और पाकिस्‍तान की शान में तकरीरें हो रही थीं। हिंदुओं के खिलाफ जहर उगला जा रहा था। वो रात बड़ी भारी गुजरी, सामान बांधते-बांधते। पुश्‍तैनी घरों को छोड़कर कश्‍मीरी पंडितों ने घाटी से पलायन का फैसला किया.


हिंदुओं के घरों का नामोनिशान तक मिटा दिया गया

उस रात घाटी से पंडितों का पहला जत्‍था निकला। मार्च और अप्रैल के दरम्‍यान हजारों परिवार घाटी से भागकर भारत के अन्‍य इलाकों में शरण लेने को मजबूर हुए। अगले कुछ महीनों में खाली पड़े घरों को जलाकर खाक कर दिया। जो घर मुस्लिम आबादी के पास थे, उन्‍हें बड़ी सावधानी से बर्बाद कर दिया गया। कश्‍मीरी पंडित संघर्ष समिति के अनुसार, जनवरी 1990 में घाटी के भीतर 75,343 परिवार थे। 1990 और 1992 के बीच 70,000 से ज्‍यादा परिवारों ने घाटी को छोड़ दिया। एक अनुमान है कि आतंकियों ने 1990 से 2011 के बीच 399 कश्‍मीरी पंडितों की हत्‍या की। पिछले 30 सालों के दौरान घाटी में बमुश्किल 800 हिंदू परिवार बचे हैं.

19 January 1990, what happen in kashmir in 1990

अगर आंकड़ों से कश्‍मीरी पंडितों का दर्द बयां हो पाता तो समझ‍िए। 20वीं सदी की शुरुआत में लगभग 10 लाख कश्‍मीरी पंडित थे। आज की तारीख में 9,000 से ज्‍यादा नहीं हैं। 1941 में कश्‍मीरी हिंदुओं का आबादी में हिस्‍सा 15% था। 1991 तक उनकी हिस्‍सेदारी सिर्फ 0.1% रह गई थी। जब किसी समुदाय की आबादी 10 लाख से घटकर 10 हजार से भी कम रह जाए तो उसके लिए एक ही शब्‍द है : नरसंहार.

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